Prime Minister of India
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक शैक्षिक सुधार एवं प्रगति के बाद भी काफी संख्या में गरीबी, पलायन आदि के कारण बीच में स्कूली शिक्षा छोड़ने वाले बालक/बालिकाएं एवं वयस्क कतिपय सामाजिक, आर्थिक एवं भौगोलिक कारणों से विद्यालयी शिक्षा की मुख्य धारा से बाहर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तक शिक्षा पहुँचाने तथा शिक्षा को अन्तिम व्यक्ति के लिए सुलभ बनाने के संकल्प की अभिपूर्ति हेतु वैकल्पिक शिक्षा की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए मुक्त एवं दूरस्थ विद्यालयी शिक्षण प्रणाली के अतंर्गत उत्तर प्रदेश राज्य में स्कूली शिक्षा की अनिवार्यता, विकास अैार प्रोत्साहन के लिए वर्ष 2008 में एक विधायी अधिनियमन उत्तर प्रदेश अधिनियम सख्यां 27- 2008 बनाया गया तथा स्थापना एवं स्वायत्तता प्रदान करने के आदेश संख्या- 2469/15-7-08-1(81)/95 के माध्यम से पहली बार एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में सोसाइटी रजि॰ अधिनियम- 21-1860 के अधीन पंजीकरण सख्यां 12-2017 के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद का संचालन वर्ष 2013 से किया जा रहा है।
स्वतंत्र भारत में स्त्रियों की स्थिति में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ है, सरकार और प्रगतिशील विचारों वाला पुरूष वर्ग राष्ट्रीय जीवन में स्त्री शिक्षा के महत्व को स्वीकार करके उसके तीव्र प्रसार का प्रबल समर्थक है, यही कारण है कि आज महिलाएं शिक्षा के समान अवसरों का उपयोग करके राजनीति, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इन सब के बाद भी स्त्रियों के सामने अनेक समस्यायें भी हैं, जिनके कारण शिक्षा सहज व सुलभ नही बन पायी है।
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